
माइनिंग माफिया हर मांह सरकार को लगा रहा है करोड़ों का चूना, लगे टैक्स चोरी के आरोपनालागढ़ के पंजेरा में माइनिंग माफिया बेखौफदिनडीहाड़े सड़कों से निकल रहे ओवरलोडेड टिप्पर गुस्साए ग्रामीणों ने एकत्रित होकर सड़क पर रोके टिप्पर्समाइनिंग विभाग को मौके पर बुलाकर ओवरलोडेड ट्रकों का करवाया कंडा माइनिंग इंस्पेक्टर निशांत शर्मा ने कहा की जा रही है कार्यवाही, काटे जाएंगे चालान ग्राम पंचायत प्रधान ने चेतावनी देकर कहा अगर नहीं की गई कार्रवाई तो धरना प्रदर्शन करने क्यों होंगे मजबूर : राजिंदर
उपमंडल नालागढ़ के तहत चंगर क्षेत्र में अवैध खनन जोरों पर है और करोड़ों की खनन सामग्री को माफिया लूटने में लगा हुआ है इसी के चलते पहले ग्रामीणों ने एसडीएम के माध्यम से कार्रवाई की मांग उठाई थी लेकिन प्रशासन के सुस्त रवैया के चलते एक बार फिर ग्रामीणों ने खनन माफिया के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और पंजेरा से गुजरने वाले ओवरलोड ट्रकों को रोककर खनन विभाग के अधिकारियों को मौके पर बुलाकर कार्रवाई करवाने की कोशिश की गई है जिसमें ग्रामीणों ने आधा दर्जन के करीब ओवरलोड ट्रकों को रोका और उनका विभागीय अधिकारियों ने कांटा भी करवाया है इसमें ज्यादातर ट्रकों में खनन से संबंधित माल ओवरलोडेड पाया गया है और मौके पर पहुंचे खनन विभाग के इंस्पेक्टर निशांत शर्मा ने उचित कार्रवाई की बात कही है और उन्होंने कहा कि जो भी ट्रक ओवरलोडेड है उनके चालान काटे जाएंगे।

इस बारे मीडिया से बातचीत करते हुए ग्राम पंचायत पंजेरा के प्रधान राजिंदर सिंह ने कहा है कि ओवरलोडिंड ट्रकों को लेकर ग्रामीणों में रोष है और उनके द्वारा माइनिंग विभाग के अधिकारियों को मौके पर बुलाया गया है और साथ ही आरटीओ को भी फोन किया गया था लेकिन न तो आरटीओ मौके पर पहुंचे और ना ही उनके विभाग की ओर से कोई कर्मचारी मौके पर पहुंचा है।
पंचायत प्रधान का कहना है कि कई सालों से लगातार यहां पर अवैध खनन हो रहा है और लगातार ओवरलोडिड ट्रकस की वजह से सड़कों को नुकसान पहुंच रहा है और सड़क हादसे भी यहां पर बढ़ते जा रहे हैं जिसको लेकर कई बार शिकायतें की जा चुकी है लेकिन विभाग के सुस्त रवैय के चलते माफिया खुलेआम दिनदहाड़े ओवरलोड ट्रक सड़कों से ले जा रहे हैं और लोगों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं साथ नदियों और लीज की आड़ में अवैध खनन हो रहा है उन्होंने कहा है कि अगर स्थानीय प्रशासन ने इस पर उचित कार्रवाई नहीं की तो वह ग्रामीण एकत्रित होकर उग्र आंदोलन करने को भी मजबूर होंगे जिसकी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होगी।
अब देखना यही होगा कि कब स्थानीय प्रशासन जागता है और कब खनन माफिया पर कार्रवाई की जाती और कब लोगों को आ रही परेशानियों से निजात मिलती है।
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