हंडूर पर्यावरण मित्र संस्था ने खटखटकाया था हाई कोर्ट का दरवाजा, 1 वर्ष बाद संबंधित विभागों ने नहीं लिया सबक, उचित कार्रवाई न करने का लगाया आरो

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हंडूर पर्यावरण मित्र संस्था ने खटखटकाया था हाई कोर्ट का दरवाजा, 1 वर्ष बाद संबंधित विभागों ने नहीं लिया सबक, उचित कार्रवाई न करने का लगाया आरोप पर्यावरण नियमों की अवहेलना व नालागढ़ बददी में स्टोन क्रशर मालिकों के राजनितिक प्रभाव के संबंध के लगाए आरोप

नालागढ़ क्षेत्र में स्टोन क्रशरों द्वारा पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन और अवैध खनन गतिविधियों के गंभीर मुद्दों को लेकर अब हडूर पर्यावरण मित्र संस्था ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और वहां पर एक चीफ जस्टिस के पास सीधे तौर पर पीआईएल दर्ज करवाई गई थी। लेकिन पल के 1 वर्ष बाद भी संबंधित विभागों ने इस पर कोई सबक नहीं लिया है और प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई है याचिका करता ने हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीपीसीबी), खनन विभाग, और अन्य संबंधित अधिकारियों ने पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) के नियमों का पालन सुनिश्चित नहीं किया है। पिछले एक वर्ष में, उन्होंने विभिन्न कार्यालयों में 100 से अधिक शिकायतें दर्ज करवाई हैं, जिनमें हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव, एचपीपीसीबी, खनन विभाग, सोलन के उपायुक्त, और नालागढ़ के उपमंडल मजिस्ट्रेट के कार्यालय शामिल हैं। बावजूद इसके, कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे यह आशंका उत्पन्न होती है कि संबंधित विभागों पर स्टोन क्रशर मालिकों का राजनीतिक अनुचित प्रभाव है।
प्रमुख चिंताएँ:
1. शिकायतों पर प्रतिक्रिया का अभाव: मेरी शिकायतों के बावजूद किसी भी महत्वपूर्ण कार्रवाई का अभाव हमारे क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए गंभीर खतरा है।
2. विजिलेंस जांच में हस्तक्षेप: श्री योगेश दत्त जोशी, डीएसपी, विजिलेंस थाना बद्दी, ने मेरी शिकायतों की निष्पक्ष और गहन जांच की। उनकी जांच न्याय और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पण को दर्शाती है, लेकिन उन्हें जल्द ही स्थानांतरित कर दिया गया। उनके स्थानांतरण के बाद, उनकी रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, और बाद की शिकायतों को बिना पूरी जांच के खारिज कर दिया गया।
प्रस्तुत सभी विभागों की अनदेखी, बार-बार की गई शिकायतों और उपलब्ध कराए गए सबूतों के बावजूद अत्यधिक चिंताजनक है और स्टोन क्रशर मालिकों के अनुचित प्रभाव की संभावना को दर्शाता है।
यहाँ नदी तल के खनन पट्टा स्थल पर देखे गए विशिष्ट मुद्दे हैं:
1. आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) का अभाव: हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HPPCB) और भूजल प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) के बिना खनन कार्य किए जा रहे हैं।
2. अत्यधिक गहराई तक खनन: अनुमत 3 फीट के बजाय 10-20 फीट की गहराई तक खनन किया जा रहा है, जिससे नदी के पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
3. सीमा चिह्नों की कमी: बिना आरसीसी सीमा स्तंभों और उचित सीमांकन के खनन गतिविधियाँ की जा रही हैं।
4. अनधिकृत सामग्री का डंपिंग: सामग्री का अनधिकृत रूप से डंपिंग हो रही है, जिससे पर्यावरणीय क्षति हो रही है और इसका उचित रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा।
5. मशीनरी का अवैध उपयोग: JCBs और पोकलाइन्स का उपयोग बिना आवश्यक अनुमति के उत्खनन में किया जा रहा है।
6. पर्यावरणीय निगरानी की कमी: हवा और पानी की गुणवत्ता की पर्याप्त निगरानी और सुरक्षा नहीं की जा रही है।
7. शोर और कंपन नियंत्रण उपायों का अभाव: खनन गतिविधियों के कारण उत्पन्न होने वाले शोर और कंपन को नियंत्रित करने के उपाय नहीं किए गए हैं।
8. खनन योजना का पालन नहीं किया जा रहा: खनन योजना का पालन नहीं हो रहा है, जिससे अव्यवस्थित और असुरक्षित खनन हो रहा है।
9. अनधिकृत परिवहन: खनन की गई सामग्री ले जाने वाले वाहन अक्सर ओवरलोड होते हैं, बिना नंबर प्लेट के चलते हैं और तेज गति से चलाए जाते हैं, जिससे सुरक्षा जोखिम उत्पन्न होते हैं।
10. ग्रीन बेल्ट विकास का अभाव: खनन के शुरुआती पाँच वर्षों में आवश्यक ग्रीन बेल्ट का विकास नहीं किया गया है और अवैध रूप से पेड़ों की कटाई की गई है।
11. सीसीटीवी निगरानी का अभाव: खनन स्थल पर गतिविधियों की निगरानी के लिए आवश्यक सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं।
स्टोन क्रशर द्वारा किए गए प्रमुख उल्लंघन:
1. रोपण आवश्यकताओं का पालन नहीं: क्रशर स्थलों के चारों ओर कोई पौधारोपण नहीं किया गया है, जिससे धूल प्रदूषण बढ़ गया है और स्थानीय वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है, जो पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन है।
2. बिना अनुमति के भारी मशीनरी की स्थापना: HPPCB से पूर्व स्वीकृति प्राप्त किए बिना और आवश्यक पर्यावरणीय मंजूरी के बिना भारी मशीनरी की स्थापना की गई है, जो औद्योगिक मानदंडों का उल्लंघन है।
3. असपाट सड़कों के कारण धूल प्रदूषण: क्रशर स्थलों पर सड़कों का पक्का न होना गंभीर धूल प्रदूषण का कारण बन रहा है, जो पर्यावरणीय जोखिम उत्पन्न करता है और स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।
4. धूल दमन प्रणाली की कमी: क्रशर में उचित धूल दमन प्रणाली नहीं है। धूल संपीड़कों के बिना, उनकी गतिविधियाँ गंभीर वायु प्रदूषण पैदा कर रही हैं, जिससे आसपास के समुदायों के श्वसन स्वास्थ्य को खतरा हो रहा है।
5. प्रदूषण नियंत्रण उपकरण का अभाव: प्रदूषण नियंत्रण के कोई उपाय लागू नहीं किए गए हैं, जो प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों का स्पष्ट उल्लंघन है, जिसके परिणामस्वरूप वायु और जल का अनियंत्रित प्रदूषण हो रहा है।
6. कच्चे माल का अनुचित परिवहन: कच्चे माल को बिना ढके टिपरों में ले जाया जा रहा है, जिससे सार्वजनिक सड़कों पर धूल प्रदूषण बढ़ रहा है और विशेष रूप से रात में दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है।
7. सीसीटीवी निगरानी का अभाव: क्रशर में पर्याप्त सीसीटीवी निगरानी नहीं है, जिससे पर्यावरणीय और खनन नियमों के पालन को सुनिश्चित करना कठिन हो गया है, खासकर रात के समय।
8. अपशिष्ट जल का खुली भूमि में निकास: अपशिष्ट जल को खुले क्षेत्रों में छोड़ दिया जा रहा है, जिससे आसपास के जल निकाय दूषित हो रहे हैं और स्थानीय पारिस्थितिकी को गंभीर क्षति हो रही है, जो प्रदूषण नियंत्रण कानूनों का उल्लंघन है।

N Star India
Author: N Star India

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