इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रयागराज में महाकुंभ का समापन हो गया। 45 दिन के इस अभूतपूर्व आयोजन की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। अभूतपूर्व इसलिए क्योंकि दुनियाभर के लोगों ने आस्था का ऐसा महासागर पहले कभी नहीं देखा। 45 दिन में 66 करोड़ 30 लाख से ज्यादा भक्तों ने संगम में डुबकी लगाई। हर दिन सवा करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु महाकुंभ पहुंचे। पचास लाख से ज्यादा विदेशी भक्त आए। सत्तर से ज्यादा देशों के लोग पहुंचे। पूरी दुनिया देखकर हैरान है कि अमेरिका से दुगुनी आबादी, फ्रांस और ब्रिटेन की आबादी से दुगुनी, रूस की आबादी से पांच गुनी, दुनिया के सौ से ज्यादा देशों की कुल आबादी से ज्यादा लोग प्रयागराज पहुंचे लेकिन कहीं कोई अव्यवस्था नहीं हुई, किसी को कई परेशानी नहीं हुई। किसी को महाकुंभ में आने का आमंत्रण नहीं दिया गया था। सभी अपनी मर्जी से, भक्तिभाव मे डूब कर महाकुंभ में आए। आस्था की डुबकी लगाई और लौट गए। ये चमत्कार नहीं तो और क्या है? इसीलिए योगी आदित्यनाथ की प्रबंध कला की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है।
बड़ी बात ये है कि ये कोई सरकारी आयोजन नहीं था। ये सनातन की पंरपरा, भारत की सांस्कृतिक शक्ति का मेला था। इस महाकुंभ में गरीब से गरीब और अमीर से अमीर लोग पहुंचे। महाकुंभ से यूपी की अर्थव्यवस्था को तीन लाख करोड़ रुपये का फायदा पहुंचा। महाकुंभ की वजह से प्रयागराज के अलावा अयोध्या, काशी और विंध्यवासिनी की तस्वीर बदली। 45 दिन में यूपी दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक तीर्थाटन का केंद्र बन गया। महाकुंभ का आयोजन इतने बड़े पैमाने पर करना बड़ी हिम्मत का काम था और ये हिम्मत योगी ने दिखाई। ये आयोजन सफल हुआ, ये चमत्कार से कम नहीं है। जब करोड़ों लोग एक साथ एक जगह पर आते हैं तो जोखिम रहता है। कुछ भी हो सकता था। एक रात भगदड़ मची, दुखद हादसा हुआ, ये नहीं भूलना चाहिए। इतने सारे लोग एक साथ, एक जगह पर स्नान करने गए तो कोई महामारी फैल सकती थी। करोड़ों लोग एक साथ हों तो कोई अनहोनी हो सकती थी। लेकिन जो हुआ, वह अद्भुत है, ईश्वर की कृपा है।
महाकुंभ के इस महाआयोजन ने ये साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति हो तो 66 करोड़ लोगों को मैनेज किया जा सकता है। टेक्नोलॉजी का ठीक से इस्तेमाल किया जाए, तो सुरक्षा दी जा सकती है। कम्युनिकेशन स्किल हो तो करोड़ों लोगों के आने जाने का इंतजाम हो सकता है। लोगों का सहयोग मिले तो रोज़ लाखों लोगों के खाने का इंतजाम किया जा सकता है। हमेशा डराने वाली पुलिस का व्यवहार दोस्ताना हो सकता है। हजारों धर्मगुरुओं और साधु संतों का मान रखा जा सकता है। गरीब और अमीर को बिना किसी भेदभाव के संगम में डुबकी का अवसर दिया जा सकता है। अगर कारोबार की कुशलता हो तो साढ़े 7 हजार करोड़ रुपये खर्च करके तीन लाख करोड़ का कारोबार हो सकता है। अफवाहों के बावजूद कुशल प्रबंधन से लोगों का भरोसा जीता जा सकता है। इसीलिए इस बार के महाकुंभ को अकल्पनीय अनुभव के रूप में याद किया जाएगा। महाकुंभ का ये आयोजन मोदी और योगी की अग्निपरीक्षा थी। ये दोनों इस परीक्षा में खरे उतरे। पूरी दुनिया में सनातन का मान बढ़ा। पूरी दुनिया में भारत की प्रबंध कला, क्षमता और कुशलता के प्रति विश्वास बढ़ा। पूरी दुनिया ने माना कि जो कोई नहीं कर पाया, वह भारत ने कर दिखाया। इस अभूतपूर्व आयोजन की गूंज पूरी दुनिया में वर्षों तक सुनाई देगी। ये भारत की, सनातन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
बाबा बागेश्वर का नया चमत्कार
महाकुंभ में तो सनातन का भक्तिमय स्वरूप दिखा लेकिन महाशिवरात्रि के दिन मध्य प्रदेश के छतरपुर में सनातन के सेवाभाव के दर्शन हुए। बागेश्वर धाम में आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री ने 251 गरीब और बेसहारा बेटियों का विवाह करवाया। समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 251 जोड़ों को आशीर्वाद दिया। धीरेन्द्र शास्त्री 5 साल से हर साल गरीब बेटियों की शादी करवाते हैं। अब तक 669 गरीब बेटियों की शादी करवा चुके हैं। जिन 251 गरीब लड़कियों ने नए जीवन की शुरूआत की उनमें 108 आदिवासी समाज की हैं, जबकि 143 दूसरे सनातन समाज की गरीब बेटियां हैं। धीरेंद्र शास्त्री ने जानकारी दी कि उनके कार्यकर्ता गांव-गांव घूम कर ऐसी बेटियों के बारे में पता लगाते हैं, जो बेसहारा हैं, जिनके माता पिता नहीं हैं, जो बेहद गरीब हैं। अपने भाषण में धीरेंद्र शास्त्री भावुक हो गए, जब उन्होंने कहा कि उनकी बहन की शादी के लिए परिवार के पास पैसे नहीं थे, लोग कर्ज देने को भी तैयार नहीं थे, उन्हें पता है कि गरीब बेटी और उसके परिवार के लोगों पर क्या बीतती है। इसीलिए उन्होंने प्रण लिया है कि जो उनके साथ हुआ वो किसी और के साथ नहीं होने देंगे। आचार्य धीरेंद्र शास्त्री को अब तक एक चमत्कार करने वाले बाबा के रूप में जाना जाता था। एक कुशल कथावाचक के तौर पर उनकी बहुत प्रतिष्ठा है लेकिन आज धर्मपिता के तौर पर उनका एक नया स्वरूप सामने आया। बागेश्वर धाम में वो एक कैंसर अस्पताल भी बनवा रहे हैं। मुझे लगता है कि धर्मगुरु, मठाधीश और संत समाज इसी तरह से समाज कल्याण के काम करें तो गरीबों को सहारा मिलेगा। मंदिरों में चढ़ावे के तौर पर आने वाली राशि का इस्तेमाल गरीबों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और पौष्टिक आहार के लिए किया जाए तो देश को बल मिलेगा।
बिहार में बीजेपी का जातियों पर फोकस
बिहार में चुनाव से आठ महीने पहले नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। सात नए मंत्रियों ने शपथ ली। सातों बीजेपी के हैं। अब नीतीश कैबिनेट में बीजेपी की मंत्रियों की संख्या 21 हो गई हैं, जबकि मुख्यमंत्री समेत जेडीयू के कुल 13 मंत्री हैं। जिन मंत्रियों को कैबिनेट में जगह दी गई है, उसमें सबसे ज्यादा चार मंत्री मिथिलांचल से हैं। बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार क्यों हुआ, कैसे हुआ, किसको मौका मिला, ये समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। सीधी सी बात है। ये सब जानते हैं कि बिहार के चुनाव में जाति का बोलबाला रहता है। लालू यादव का फोकस दलित, पिछड़े और मुस्लिम वोटों पर है। बिहार में पिछड़ों की आबादी 27 प्रतिशत से ज़्यादा है जबकि अति पिछड़ा समाज से ताल्लुक रखने वाले करीब 36 प्रतिशत हैं। सिर्फ यही दोनों मिलकर करीब 63 प्रतिशत हो जाते हैं। चूंकि ये माना जाता है कि यादवों का वोट RJD को मिलता है, इसलिए बीजेपी का फोकस पिछड़े वर्ग की अन्य जातियों पर है जिनका वोट करीब 50 प्रतिशत है। इसीलिए चुनाव को ध्यान में रखते हुए 7 में से 5 मंत्री अन्य पिछड़े वर्ग से हैं। बीजेपी ने चुनाव से पहले जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की है।
क्रिकेट: अफगानिस्तान के हाथों इंग्लैंड की हार
चैम्पियंस ट्रॉफी में नौसिखिया मानी जाने वाली अफगानिस्तान की टीम ने इंग्लैड को 8 रन से हराकर सबको चौंका दिया। मैच में पहले अफगानिस्तान ने इंग्लैंड के गेंदबाजों की जबरदस्त धुनाई की। 325 रन का बड़ा टारगेट सैट किया। ये मैच अफगानिस्तान के ओपनर इब्राहिम ज़दरान की शानदार बैटिंग के लिए याद किया जाएगा। इब्राहिम ने 177 रन की पारी खेली और ये चैम्पियंस ट्रॉफी में किसी भी बल्लेबाज की अब तक खेली गई सबसे बड़ी पारी है। उन्होंने 146 बॉल में 12 चौके और छह सिक्सर मारे और पारी के आखिरी ओवर में आउट हुए। इसके बाद इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने भी जबरदस्त बैंटिंग की। जो रूट ने 111 गेंदों पर 120 रन बनाए, लेकिन अफगान गेंदबाज़ हावी रहे। अज़मतुल्लाह उमरज़ई ने 58 रन देकर 5 विकेट लिए। चैंपियंस ट्रॉफी में अफगानिस्तान की टीम पहली बार खेल रही है। इब्राहिम ने चैंपियंस ट्रॉफी की अबतक की सबसे शानदार पारी खेलकर सबको चौंका दिया। अफगानिस्तान की टीम के पास ज़बरदस्त टैलेंट है, बस अनुभव की कमी है। इसीलिए वो कई बार जीत के कगार पर आकर भी हार जाती है। लेकिन बुधवार को उसने पासा पलट दिया। (रजत शर्मा)
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