हिमाचल प्रदेश सरकार और राजभवन में तकरार, मुख्यमंत्री ने राज्यपाल की टिप्पणी को बताया अनुचित
शिमला: हिमाचल प्रदेश में नशे के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है. राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला की “उड़ता हिमाचल” वाली टिप्पणी पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल महोदय को ऐसी टिप्पणी शोभा नहीं देती, क्योंकि वह एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं.[1][2][3] उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने किस संदर्भ में यह टिप्पणी की है, इस पर उनसे मुलाकात कर बात की जाएगी.
मुख्यमंत्री सुक्खू ने अपनी सरकार की नशाखोरी के खिलाफ की गई कार्रवाइयों का बचाव करते हुए कहा कि प्रदेश में कड़े कदम उठाए गए हैं. उन्होंने बताया कि हमारी सरकार ने नशाखोरी के खिलाफ PIT-NDPS एक्ट को सख्ती से लागू किया है.[4][5][6] इस अधिनियम के तहत, जो पहले अप्रयुक्त था, अब नशीली दवाओं के तस्करों, विशेषकर बार-बार अपराध करने वालों पर नकेल कसी जा रही है.सरकार के प्रयासों को और धार देने के लिए प्रदेश की 3575 पंचायतों की मैपिंग की जा रही है.] इस मैपिंग का उद्देश्य धरातल पर नशा कारोबारियों की पहचान कर उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई करना है.
आत्मनिर्भर हिमाचल की नींव रखने के लिए कैबिनेट की मैराथन बैठकें
मुख्यमंत्री ने कहा कि लगातार चार दिन तक कैबिनेट की बैठकें करना अपने आप में व्यवस्था परिवर्तन का एक जीवंत उदाहरण है.[10][11][12] उन्होंने बताया कि इन बैठकों का उद्देश्य आत्मनिर्भर हिमाचल की नींव को और मजबूत करना है. ये बैठकें केवल दो घंटे की नहीं हैं, बल्कि इनमें विभिन्न एजेंडों पर विस्तृत चर्चा हो रही है ताकि प्रदेश के हित में महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकें.[12] इन बैठकों में आपदा राहत पैकेज के अलावा आत्मनिर्भर हिमाचल के लिए भी कई निर्णय लिए जाएंगे.[11][12]
आपदा राहत पर केंद्र से गुहार और सियासत
मुख्यमंत्री सुक्खू ने आपदा राहत के मुद्दे पर भाजपा सांसदों पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि भाजपा सांसद, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा जी की अध्यक्षता में दिल्ली में विभिन्न मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं.[ लेकिन बेहतर होता कि वे 2023 और 2024 में भी उस वक्त केंद्रीय मंत्रियों से मिलते जब पूरा प्रदेश आपदा से ग्रस्त था और पीडीएनए (Post Disaster Needs Assessment) की राशि लाते.
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि हिमाचल सरकार भी जेपी नड्डा जी की अध्यक्षता में केंद्र सरकार से मिलने को तैयार है. उन्होंने एक महत्वपूर्ण मांग रखते हुए कहा कि आपदा में जिन लोगों की जमीनें बह गई हैं, उन्हें बसाने के लिए वन भूमि प्रदान करने हेतु केंद्र सरकार से नियमों में ढील मिलनी चाहिए.
